ज़िंदगी का ये सफ़र कोई समझे तो नहीं
ये ही रास्ता है मेरा आता ही नहीं
मैं चलता हूँ मंज़िल की तलाश में
मगर मंज़िल मुझे मिलती ही नहीं
मैं भटकता हूँ राहों में
मगर मेरी राहें कभी खत्म होती ही नहीं
मैं थक जाता हूँ चलते-चलते
मगर मेरी थकान कभी मिटती ही नहीं
मैं गिरता हूँ संभलता हूँ
मगर मेरी हिम्मत कभी हारती ही नहीं
मैं लड़ता हूँ मुसीबतों से
मगर मेरी मुसीबतें कभी खत्म होती ही नहीं
मैं जीता हूँ उम्मीद से
मगर मेरी उम्मीदें कभी टूटती ही नहीं
मैं चलता रहूँगा मंज़िल की तलाश में
चाहे मेरी राहों में कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों
मैं भटकता रहूँगा राहों में
चाहे मेरी राहें कभी खत्म ही क्यों न हों
मैं थकता रहूँगा चलते-चलते
चाहे मेरी थकान कभी मिटे ही क्यों न हों
मैं गिरता रहूँगा संभलता रहूँगा
चाहे मेरी हिम्मत कभी हारे ही क्यों न हों
मैं लड़ता रहूँगा मुसीबतों से
चाहे मेरी मुसीबतें कभी खत्म ही क्यों न हों
मैं जीता रहूँगा उम्मीद से
चाहे मेरी उम्मीदें कभी टूटे ही क्यों न हों
मैं चलता रहूँगा मंज़िल की तलाश में
और एक दिन मुझे मेरी मंज़िल ज़रूर मिल जाएगी